

ज्योतिष की जानकारी के बाद भी अगर आप फल कथन को प्रभावी ढंग से नहीं कर पाते है तो इसमें सिर्फ और सिर्फ आपकी ही चूक है। फल कथन करने के लिए पत्रिका को समझना आवश्यक होता है अन्यथा हम, उच्च,नीच ,वक्री ,उपाय आदि की चर्चा अपने क्लाइंट से करने लगते है और विषय से भटक जाते है और हमारे क्लाइंट या वो विद्यार्थी जो वैदिक ज्योतिष को गहराई से समझने आपके पास आते है वो यही सोचते है की वैदिक से फलकथन नहीं हो सकता। आप भी विचार करें इतने गहरे विषय को थोड़े से भटकाव और टोन-टोटके का बाजार बना दिया गया है। हमारी आप सभी से यही अनुरोध है की अधिक से अधिक पुस्तकों का अध्यन करें, प्रैक्टिस करें और फल को स्वं से समझें ताकि सही या गलत का पैसला आप स्वं ले सके। केवल एक सिद्धांत मात्र से कोई भी फल कथन करना असंभव होगा। विषय को एक धागे में पिरो कर एक माला बनाए और इसकी सुंदरता को समझें।
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