
ज्योतिष भाग्य बदलने का सिद्धांत नहीं है। कोई ज्योतिषी आपका भाग्य नहीं बदल सकता।
क्या ये दान या ये उपाय करने से मेरा डिवोर्स रुख जाएगा ?
क्या नाम बदलने से मेरा बेटा पास हो जाएगा ?
क्या उत्तर दिशा को ठीक कर लेने मात्रा से आपके घर में पैसो की बरसात होगी ?
क्या घडी का डायल चेंज करने से आपकी तरक्की निश्चित है ?
क्या हाथ पर ६ अंक लिखने से विवाह हो जाएगा ?
ज्योतिषी भगवान् नही ं है। आमजन लाखों रूपये उपायों के नाम पर खर्चा करते है और फिर अंत में निरास होकर ज्योतिष को भला बुरा कहते है। या अपना भरोसा ज्योतिष से खो देते है।
वास्तु को भाग्य बदलने का सिद्धांत न कहे ,पुराने जमाने में वैवाहिक जीवन में दिक्कते नहीं होती थी। क्या सबको वास्तु की समझ थी। क्या सभी के चारों दिशा या सभी विदिशा वास्तु के अनुकूल ही थी. इससे पहले वास्तु के बेसिक सिद्धांत को समझना होगा।
आगे हम इसे समझेंगे। पहले घरों में धुप -वायु का प्रवाह बहुत अच्छा था ,वास्तु का प्रथम सिद्धांत ही वायु और धुप का सही प्रवाह के बारे में बताता है। अगर घर की ऊर्जा अच्छी होगी तो मन भी अच्छा होगा और जब मन अच्छा होगा तो विचार भी अच्छे होंगे और यही कहा जाता है की मन मिले तो सब मिले।
इसीसलिए आप देखते होंगे की हाई राइज में रहने वाले लोग नैनीताल,मसूरी मन को शांत करने के लिए घूमे जाते है और तरोताज़ा होकर आते है।
ये तो वास्तु का सिर्फ एक उदहारण था। इसी तरह ज्योतिष और ज्योंतिष की अन्य विधाओं से भी समझ सकते है।
घडी का डायल चेंज करने से भी कुछ नहीं होगा ,घडी तो पहले लोग पहनते भी नहीं थे। फिर भी भारत सोने की चिड़िया था।
